अग्निकर्म-आग पैदा करना जलवाय्वग्निसंयोगनिरोधैः क्रिया-जल-वायु-अग्नि का संयोग, पृथक करना, नियंत्रण छेद्यम्-भिन्न-भिन्न आकृतियां काट कर बनाना मणिभूमिका कर्म-गच में मणि बिठाना अनेकरूपाविर्भावकृतिज्ञानम्-पत्थर, लकड़ी पर आकृतियां बनाना स्वर
2.
संस्कृत में तष्ट में वही सारी क्रियाएँ समाहित हैं जो दस्तकारी के पारम्परिक कर्म हैं अर्थात छाँटना, विशेष प्रकार की आकृति प्रदान करना बनाना, कुल्हाडी से काटना, काट कर बनाना, काटना, गढ़ना, चीरना, ठीक करना, तैयार करना, रूप देना, ढालना आदि ।